करीब साढ़े तीन सौ नंबरों की मेरी ज़िंदगी
मेरे वाकिफ, मेरे दोस्त, मेरा काम, मेरे इश्क़
कुछ पुरानी चिंगारियाँ, थोड़ी ठंडी पड़ चुकी राख़
कुछ तस्वीरें, कुछ नज़्में, कुछ ग़ज़लें
मेरे मनसूबे, मेरी नाकामियाँ, मेरी कोशिशें
सब खो गया है, मेरा फोन चोरी हो गया है
वो बेवजह के मेसेज, वो बेमतलब की बातें
वो मिस्सड कॉल की दलीलें, वो इंतज़ार की रातें
वो टॉक टाइम खत्म हो जाने का बहाना
वो खान मार्किट में गुज़री शाम का ज़माना
वो जो जागा था अरमान मेरे दिल में पुराना
अब वो भी सो गया है, मेरा फोन चोरी हो गया है
कुछ नंबर फालतू थे, कुछ ज़रूरी थे, कुछ ऐसे ही
कुछ ज़बरदस्ती दिये गए, कुछ ज़बरदस्ती लिए गए,
और एक खास नंबर था, खूबसूरत पहाड़ी झरने सा
बड़ी मुद्दत से बड़ी शिद्दत से, जिस पर इरादा था कॉल करने का,
वो भी सोचती होगी सब मर्द एक से होते हैं इस जमाने में
मेरा स्टैंडर्ड लो हो गया है, मेरा फोन चोरी हो गया है
मेरी बेटी की तस्वीर थी एक पुरानी उसमें
नज़र आती थी मेरी गुड़िया की नादानी उसमें
जब तक थी वो तस्वीर मेरे फोन में महफ़ूज
मेरी उम्र नहीं बढ़ती थी, मैं कब से जवां था
नहीं रही वो तस्वीर तो अचानक कद मेरी बेटी का
बड़ा हो गया है, मेरा फोन चोरी हो गया है ।
behtareen! Mera number zabardasti to nahi lena padha na?? ;))
ReplyDeleteAmazing...Superb.....Awesome ....wish I had words to praise your words.
ReplyDeleteI'm so proud of you , Bro.
~Bobby
BTW, may be it's time to shift to an iPhone ;)
ReplyDelete~bobby
You told me the fact of your phone ,s theft,when i was to board for u.s.a. and I gave you a few no.which I could .
ReplyDeleteBut I did never know that it will become the back ground for such AN INTERESTING POEM .
Lively poem ,touching words at the closing .
God bless you .
Jagjit kaur
Thankyou everyone for your lovely words.
ReplyDeletevery nice!
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