Sunday 6 May 2012

लड़की का बाप


एक हाथ भर का तुम्‍हारा वजूद
अपने हाथों से टटोल कर
मेरे सीने में अपनी मां की गरमी तलाशता था
जिसे वहां ना पाकर तुम चीख चीख कर रोती थीं
और मुझे अपनी मर्दानगी पर शर्मिंदा करती थीं

फिर तुम हाथ भर से गज़ भर की हो गईं
और तुमने स्‍कूल की वैन को देखकर
मेरे गिरेबान को और ज़ोर से पकड़ लिया
लानत है ऐसी पढ़ाई पर
मैंने मन में सोचा
पर फिर सख्‍त हाथ से खुद ही
अपना गिरेबान छुड़ा कर
तुम्‍हें रोते हुए स्‍कूल भेजा
मैं अभी तक अपनी उस लाचारी से उबर नहीं पाया हूँ

पापा थक जाओगे थोड़ी देर आराम कर लो
जैसे किसी ने थप्‍पड़ मार कर नींद से जगा दिया हो
अब तुम इतनी बड़ी हो गई हो कि मैं
अब तुम्‍हें स्‍कूल के लिए तैयार नहीं कर सकता
बस संडे को तुम्‍हारे सर में तेल लगा सकता हूँ

आज फिर शर्मिंदा हूँ अपने मर्द होने पर
बेटी का बाप होना
कितना शर्मिंदगी भरा है