एक हाथ भर का तुम्हारा वजूद
अपने हाथों से टटोल कर
मेरे सीने में अपनी मां की गरमी तलाशता था
जिसे वहां ना पाकर तुम चीख चीख कर रोती थीं
और मुझे अपनी मर्दानगी पर शर्मिंदा करती थीं
फिर तुम हाथ भर से गज़ भर की हो गईं
और तुमने स्कूल की वैन को देखकर
मेरे गिरेबान को और ज़ोर से पकड़ लिया
लानत है ऐसी पढ़ाई पर
मैंने मन में सोचा
पर फिर सख्त हाथ से खुद ही
अपना गिरेबान छुड़ा कर
तुम्हें रोते हुए स्कूल भेजा
मैं अभी तक अपनी उस लाचारी से उबर नहीं पाया हूँ
पापा थक जाओगे थोड़ी देर आराम कर लो
जैसे किसी ने थप्पड़ मार कर नींद से जगा दिया
हो
अब तुम इतनी बड़ी हो गई हो कि मैं
अब तुम्हें स्कूल के लिए तैयार नहीं कर सकता
बस संडे को तुम्हारे सर में तेल लगा सकता हूँ
आज फिर शर्मिंदा हूँ अपने मर्द होने पर
बेटी का बाप होना
कितना शर्मिंदगी भरा है